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JAWAHAR NAVODAYA VIDYALAYA

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Monday, September 14, 2020

हिंदी दिवस (14 सितम्बर)



   !! *हिंदी दिवस (14 सितम्बर)* !!
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हर साल हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है।  इस दिन ही देवनागरी लिपि में हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। साल 1953 में पहली बार हिंदी दिवस का आयोजन हुआ था। तभी से यह सिलसिला बना हुआ है। हिंदी दिवस को मनाने का उद्देश्य हिंदी भाषा की स्थिति और विकास पर मंथन को ध्यान में रखना है। देश में करीब 77 प्रतिशत से भी ज्यादा लोग हिंदी बोलते हैं।


*भारत की मुख्य भाषा हिंदी को कब मिली पहचान-*

सरकारी कार्यालयों और शिक्षण संस्थानों में 15 दिन तक हिंदी पखवाड़ा मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा की ओर से हिंदी को आजाद भारत की मुख्य भाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 343 (1) में किया गया है। अनुच्छेद के अनुसार भारत की राजभाषा ‘हिंदी’ और लिपि ‘देवनागरी’ है।


*क्यों मनाया जाता है हिंदी दिवस-*

हिंदी दिवस के मौके पर देशभर के स्कूलों, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थानों में कई तरह की प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। हिंदी पूरे विश्व में चौथी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। वहीं दूसरी ओर भारत में अन्य कई भाषाएं विलुप्त हो रही हैं। जो चिंतन का विषय है। ऐसे में हिंदी की महत्ता बताने और प्रचार-प्रसार के लिए हिंदी दिवस को मनाया जाता है।


*हिन्दी दिवस का इतिहास*

हिन्दी दिवस का इतिहास और इसे दिवस के रूप में मनाने का कारण बहुत पुराना है। वर्ष 1918 में महात्मा गांधी के दोस्त "नोनो" ने इसे जनमानस की भाषा कहा था और इसे देश की राष्ट्रभाषा भी बनाने को कहा था। लेकिन आजादी के बाद ऐसा कुछ नहीं हो सका। सत्ता में आसीन लोगों और जाति-भाषा के नाम पर राजनीति करने वालों ने कभी हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनने नहीं दिया।


*हिंदी दिवस विशेष :*

इस दिन भारत के राष्ट्रपति द्वारा नई दिल्ली के विज्ञान भवन में हिंदी से संबंधित क्षेत्रों में उनके बेहतर काम करने वाले लोगों को पुरस्कार वितरित किए जाते हैं. राजभाषा पुरस्कार विभागों, मंत्रालयों, पीएसयू और राष्ट्रीयकृत बैंकों को वितरित किए जाते हैं. 25 मार्च 2015 के आदेश में गृह मंत्रालय ने सालाना हिंदी दिवस पर दिए गए दो पुरस्कारों का नाम बदल दिया है. 1986 में स्थापित ‘इंदिरा गांधी राजभाषा पुरस्कार’, ‘राजभाषा कीर्ति पुरस्कार’ और ‘राजीव गांधी राष्ट्रीय ज्ञान-विज्ञान मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार’ बदलकर राजभाषा गौरव पुरस्कार हो गया है।

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